मतवाला
देखो तो दीवानों जैसे
हम पागल, बेसुध होकर, मतवाले हाथी जैसे,
रंग भरी, रंगीन, रंगों की दुनिया में लथपथ,
कीचड़ में सने हुए वराहों की तरह,
बरसात के पानी में तर बतर होकर,
झूमते हुए, अपनी मौज़ में, किसी सुफ़ियाने की तरह, सृजनात्मकता से परिपूर्ण राह से होकर अमूर्त आनंद की ओर जा रहे हैं।
श्रुतिका 2017
Kya bat kahi shrutika..
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